समाजों से सियासत तक पहुंची "नाता परम्परा।" आज इसके, कल उसके
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
धोखा मिला है अपनो से, तो तन्हाई से क्या डरना l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
सभी लालच लिए हँसते बुराई पर रुलाती है
तेरे इकरार का बहुमत चाहिए
पनघट के पत्थर
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
वैसे नहीं है तू, जैसा तू मुझे दिखाती है,
भाई बहन की संवेदना (रक्षाबंधन पर्व)
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है
जो भी पाना है उसको खोना है
राजनीतिक संघ और कट्टरपंथी आतंकवादी समूहों के बीच सांठगांठ: शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
मोहब्बत आज भी अधूरी है….!!!!
बख्श मुझको रहमत वो अंदाज मिल जाए
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !