Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Mar 2024 · 1 min read

यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है

(शेर)- तू नहीं सभी का मालिक, कि हर कोई तेरा गुलाम हो।
सबको है आजादी सपनें चुनने की, यह तुमको मालूम हो।।
——————————————————————–
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो, तू भी अंधभक्त है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो ————————।।

जरूरी नहीं, हम दोनों की पसंद- इच्छा एक हो।
जरूरी नहीं, हम दोनों के सपनें यहाँ एक हो।।
मेरी भक्ति- मेरे आदर्श से, तुमको क्यों दिक्कत है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो———————–।।

सभी को अपना गुलाम, क्यों तू समझता है।
मदद के बदले क्यों किसी को, तू लुटता है।।
क्यों तेरी आत्मा- नियत, नीति यह गलत है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो———————।।

आजादी है सभी को, अपना ईश्वर- पथ चुनने की।
अपने देवी- देवताओं की, जय जयकार करने की।।
तेरे विरोधियों पर क्यों, तेरे जुल्म यूँ सख्त है।
मेरी तरह तू भी तो, किसी का अंधभक्त है।।
यदि मैं अंधभक्त हूँ तो——————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
150 Views

You may also like these posts

"सदा से"
Dr. Kishan tandon kranti
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
ना चाहते हुए भी रोज,वहाँ जाना पड़ता है,
Suraj kushwaha
मेरा कहा / मुसाफिर बैठा
मेरा कहा / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
हमारा हाल अब उस तौलिए की तरह है बिल्कुल
Johnny Ahmed 'क़ैस'
सीने में जज्बात
सीने में जज्बात
RAMESH SHARMA
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
ये आंखें जब भी रोएंगी तुम्हारी याद आएगी।
Phool gufran
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/188.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
खिंचता है मन क्यों
खिंचता है मन क्यों
Shalini Mishra Tiwari
#लघुकविता-
#लघुकविता-
*प्रणय*
मार्केटिंग
मार्केटिंग
Shashi Mahajan
पिता जी
पिता जी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
ये मुख़्तसर हयात है
ये मुख़्तसर हयात है
Dr fauzia Naseem shad
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
मतलब की इस दुनिया में वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्
Ranjeet kumar patre
मुक्तक – भावनाएं
मुक्तक – भावनाएं
Sonam Puneet Dubey
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
बड़ी बहु को नौकर छोटी की प्रीत से
नूरफातिमा खातून नूरी
मैं घड़ी हूँ
मैं घड़ी हूँ
Dr. Vaishali Verma
मेरा कान्हा जो मुझसे जुदा हो गया
मेरा कान्हा जो मुझसे जुदा हो गया
कृष्णकांत गुर्जर
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
वो पिता है साहब , वो आंसू पीके रोता है।
Abhishek Soni
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
प्यार कर रहा हूँ मैं - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
सूरत
सूरत
Sanjay ' शून्य'
-अगर हम अपने अनुभवों पर आए तो सारे रिश्ते तोड़ जाए -
-अगर हम अपने अनुभवों पर आए तो सारे रिश्ते तोड़ जाए -
bharat gehlot
आज कल रिश्ते भी प्राइवेट जॉब जैसे हो गये है अच्छा ऑफर मिलते
आज कल रिश्ते भी प्राइवेट जॉब जैसे हो गये है अच्छा ऑफर मिलते
Rituraj shivem verma
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
रिश्वत का खेल
रिश्वत का खेल
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
जय हो भारत देश हमारे
जय हो भारत देश हमारे
Mukta Rashmi
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
*जानो तन में बस रहा, भीतर अद्भुत कौन (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
अनुत्तरित
अनुत्तरित
Meera Thakur
Loading...