हर लफ्ज़ मे मोहब्बत
हर लफ्ज़ में मोहब्बत,हर अदा में नज़ाकत
हर बात में शिकायत,हर सजदे में सदाकत।
हर कदम पर है आहट,हर मुस्कान में बनावट
वो नाजों नखरे तेरे, हर अल्फ़ाज़ में लियाकत।
हर धड़कन में महबूब,हर चाहत तेरी है खूब
वो तेरा पलकें झुकाना,चेहरे पर छाई शफ़ाक़त।
हर पल रहे साथ आपका ,रहे हाथों में हाथ आपका।
जंजीर ए पांव न समझना,सलामत रहे
ये रिफ़ाक़त।
सुरिंदर कौर