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26 Nov 2024 · 1 min read

बदली बदली सी फिज़ा रुख है,

बदली बदली सी फिजाओं का रुख है,
ख़ुशी ,दुःख सिमट ,
आलिंगन कर रही है,
दिन का उजियारा देख कर
रात की घनी अंधकार में ,
तदनन्तर अब क्या?

चल, एक बार चक्कर काट आते हैं,
मौत से नजरें मिलाते हैं।
जीवन की बाजी खेलकर,
मौत को मात दे आते हैं।
जहां अंधेरों की हद हो,
वहां रोशनी जलाते हैं।
आग जो भीतर सुलग रही,
उसे जीत की लौ बनाते हैं।
चल, साहस का गीत रचते हैं,
जिंदगी से आगे बढ़ते हैं।
मौत भी झुक जाए वहां,
ऐसा इतिहास बनाते हैं।

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 66 Views
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