श्री राम जी की वंदना 🚩🏹

आओ सब मिलकर के बोलें श्री राम की वंदना।।
धर्म पिता मैने सीता का
जीवन दुखी बनाया है।।
पग पग चलने का प्रण मेरा
बचा मात्र अब साया है।।
इक दुखियारी के जीवन में
कष्ट दिया हूं प्रार्थना।।
आओ सब मिलकर के बोलें श्री राम की वंदना।।
पुत्र नहीं दुखियारी सीता
तप और त्याग की मूरत है।।
तुझमें सिया और सिया में तुम हो
दोनों ममता की मूरत हो।
राम त्याग उपहास नहीं हो
यही मेरी प्रस्तावना।।
महल से निकली जब सीता थी।
पत्र मुझे भिजवाया था।।
राघव दुखी बहुत महलों में
ढांढस देने आया था।।
खबर सुनयना ने जब जाना
मूर्छित तन और भावना।।
आओ सब मिलकर के बोलें श्री राम की वंदना।।
जय हो मेरे राम की।……….