*निर्मित प्रभु ने कर दिया, धरा और आकाश (कुंडलिया)*
बेसुध सी ख़्वाहिशों का कैसा ख़ुमार है
मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा
ख़ुदगर्ज हो, मक्कार हो ये जानता है दिल।
जीवन रूपी ट्रक ऑटो-रिक्शे के दो कमज़ोर पहियों पर नहीं दौड़ सकत
— मैं सैनिक हूँ —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
एक वही मलाल,एक वही सवाल....
श्रृद्धेय अटल जी - काव्य श्रृद्धा सुमन
विचार, संस्कार और रस [ दो ]
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
7) तुम्हारी रातों का जुगनू बनूँगी...
प्रेम कब, कहाँ और कैसे ख़त्म हो जाता है!
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई