शाम वापसी का वादा, कोई कर नहीं सकता
हिन्दी भारत का उजियारा है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
जख्म भरता है इसी बहाने से
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*