बाह रे चाय
बाह रे चाय
लईका पिचका माई-पिल्ला
सबला अबड़ मिठाय,
चाही कारी रहय के गोरी
पीये म मजा आ जाय।
बाह रे चाय
लोटा भर पानी म संगी
चाय पत्ती डल जाय,
दूध अउ शक्कर घलो
ओमा मिल जाय।
बाह रे चाय
जब कोनो कोती ले
पहुना आ जाय,
चूल्हा म झटपट चढ़
डेचकी म मुस्काय।
बाह रे चाय
कलजुग के ए बेरा म
दूध-दही नंदाय,
अमरित कस बनके तैं
जम्मो जघा इतराय।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
बेस्ट पोएट ऑफ दी ईयर-2024
हरफनमौला साहित्य लेखक।