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17 Nov 2024 · 1 min read

सरसी छंद

विषय -गाल गुलाबी लगते मेरे
शृंगार रस – संयोग ( सरसी छंद गीत 16/11 )

पिया मिलन को दौड़ी जाऊँ, छोड़ू सारे काज।।
गाल गुलाबी लगते मेरे, यही प्रीत का राज।

अधर लाल हैं जैसे केसर , कजरारे से नैन।
अलकें मेरी काली काली, काली सी ज्यों रैन।।
अंग अंग में सिहरन उठती ,आती मुझको लाज।
गाल गुलाबी लगते मेरे, यही प्रीत का राज।

बाहों में साजन का भरना, छिड़ते मन के तार।
माथे पर चुम्बन का धरना, उर में भरता प्यार ।।
चौकाती हर आहट मुझको,छेड़े पायल साज।
गाल गुलाबी लगते मेरे, यही प्रीत का राज।

तारों से मैं मांग सजाऊँ, बिंदिया सजती माथ।
रूप हुआ है कुंदन जैसा,लगे पिया का हाथ ।।
निखरी निखरी मैं तो डोलूं, प्रियतम मिलते आज।
गाल गुलाबी लगते मेरे, यही प्रीत का राज।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

1 Like · 1 Comment · 145 Views
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