आज़ महका महका सा है सारा घर आंगन,
ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...
*सबसे महॅंगा इस समय, पुस्तक का छपवाना हुआ (मुक्तक)*
मां तेरे आंचल से बढ़कर कोई मुझे न दांव रहता है।
राम कृष्ण हरि
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
कदाचित् वहम यह ना पालो...
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे...!
#वक्त मेरे हत्थों किरया
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
𑒢𑒯𑒱𑓀 𑒁𑒢𑒳𑒩𑒰𑒑 𑒏𑒱𑒢𑒏𑒼 𑒕𑒻𑒢𑓂𑒯𑒱 𑒋𑒞𑒨,
मैं अपने बारे में क्या सोचता हूँ ये मायने नहीं रखता,मायने ये
52.....रज्ज़ मुसम्मन मतवी मख़बोन
प्रकृति भी तो शांत मुस्कुराती रहती है
जिस कदर उम्र का आना जाना है
ज़ब्त को जितना आज़माया है ।
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'