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19 Feb 2022 · 1 min read

ग़ज़ल:- रोशनी देता है सूरज को शरारा करके...

रोशनी देता है सूरज को शरारा करके
छीन भी लेता है बस एक इशारा करके

दूर मत भाग कभी रब से किनारा करके
चमका देगा तुझे इक़ रोज सितारा करके

रेत सहरा की तपे आग उगलता सूरज
भेज देता वो वहाॅं अब़्र इशारा करके

सारे आलम का वही एक ही तो मालिक है
बाॅंट मत यार उसे मेरा तुम्हारा करके

डूब जाए न मेरी कश्ती बचा ऐ मालिक
बीच मझधार तक ले आया तरारा करके

बागवाॅं बनके बचा पाया न मैं एक शज़र।
वो धरा सींच गया पल में हजारा करके।।

ढूॅंढता ज़िंदगी भर सारे ज़हां में उसको।
‘कल्प’ वो मुझको मिला दिल में निहारा करके।।

✍ अरविंद राजपूत’कल्प’

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