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29 Sep 2021 · 1 min read

ताकूऽ कनै मां निहुछ हमे,इजोत के खीची लाउ(कविता)

निहुछ अपने भक्क बैसू वीरन मे
वेदनसँ जल गोइठा हो जाउ,छन मे
गठजोङ करू तऽ अप्पन, नहि केओ
कंचा यशी लोक पथ मे रोड़ा,ठारह केओ
तऽ कोना बढू जिनगी मे आगू,भक्क बैसू
ताकूऽ कनै मां निहुछ हमे,इजोत के खीची लाउ

गढ़ बनू राजा सलहेस जेना हम
इतिहासक मठ मे नव इतिहास गढ़ू हम
आगू आगू नै आबै केओ,नै वरन उपहास करै
आतुर नै होउ कतौ अभिनव जयदेवक कृति
धियान करू
दिनकर रेनू जेना हिय अटूट विश्वास हमर हो
शून्यसँ जानू मुलुक के,सबसँ अशीष माँगू
अप्पन माटि मे बारह ज्योतिर्लिंग देखिक जागू
ताकूऽ कनै मां निहुछ हमे,इजोत के खीची लाउ

छाह गाछ बनू हम बलखैत मनुख्ख के अप्पन छाह रखू
पावन पवित्र मन घर आँगन होए हमर
साप डसै तऽ तखनो लेहू गुन गान करै
आरसी यात्री जेहन सरस मधूर बनि हम
गौरवशाली अतीत भारत क निर्माण करू
श्वास टुटे मुदा तखन धरि संस्कार नै बिसरू
ताकूऽ कनै मां निहुछ हमे,इजोत के खीची लाउ

साँच धरम कर्तव्य शिरोधार्य हो हमर
असुर कखनो हमर हिय के आंगन नै आबै
लाजसँ असुर करै नित नमन हमर संस्कार बहराबै
अप्पन भाषा संस्कृति सँ अहिना बहराउ जहान
मे कंठ हार बनू
श्वास टुटे मुदा तखन धरि संस्कार नै बिसरू
ताकऽ कनै मां निहुछ हमे,इजोत के खीची लाउ

मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य

Language: Maithili
8 Likes · 3 Comments · 397 Views
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