Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
27 Oct 2023 · 1 min read

* हाथ मलने लगा *

** गीतिका **
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सत्य जब हाथ मलने लगा देखिए।
झूठ का पर निकलने लगा देखिए।

बिन दिए जब नहीं है मिला कुछ यहां।
छद्म सहयोग छलने लगा देखिए।

साथ जो भी चला दो कदम आपके।
स्वार्थ वश दूर दिखने लगा देखिए।

संगठन सूत्र जब टूटकर रह गया।
मुक्त मोती लुढ़कने लगा देखिए।

हो रही शाम है सूर्य छुपने चला।
अब पथिक तेज चलने लगा देखिए।

रात का दृश्य सुन्दर बहुत है मगर।
जब हृदय में उतरने लगा देखिए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २७/१०/२०२३

Loading...