Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 1 min read

देखकर तुम न यूँ अब नकारो मुझे…!

देखकर तुम न यूँ अब…., नकारो मुझे
अक़्स हूँ मैं तुम्हारा……, सँवारो मुझे।

दाग दामन पे’ मेरे.., लगे हैं…, अगर
हक तुम्हारा है तुम ही.., निखारो मुझे।

हूँ परेशां बहुत.., दर्द से…, इस क़दर
इल्तिज़ा है यही तुम….., दुलारो मुझे।

जिंदगी इक जुआ है.., ये माना मगर
आसरा बस तुम्हारा….., न हारो मुझे।

तोड़ दो बंदिशें सब., मुहब्बत की तुम
नाम लेकर के मेरा……, पुकारो मुझे।

ख़ून दिल का पिला कर लिखी ये ग़ज़ल
कह रही आप सब से…., निहारो मुझे।

इक “परिंदा” सफ़र का,, मैं नादान सा
छोड़ दो बेज़ुबां हूँ……., न मारो मुझे।

पंकज शर्मा “परिंदा”

Language: Hindi
90 Views

You may also like these posts

ग़ज़ल _ बरबाद ही किया है ।
ग़ज़ल _ बरबाद ही किया है ।
Neelofar Khan
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
शिव बन शिव को पूजिए, रखिए मन-संतोष।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेटी की ताकत पहचाने
बेटी की ताकत पहचाने
D.N. Jha
I may sound relatable
I may sound relatable
Chaahat
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
सरफरोश
सरफरोश
Shekhar Chandra Mitra
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
आंख का टूट गया है
आंख का टूट गया है
अनिल कुमार निश्छल
जाना है
जाना है
Dr.Pratibha Prakash
"गरीबी मिटती कब है, अलग हो जाने से"
राकेश चौरसिया
बहु घर की लक्ष्मी
बहु घर की लक्ष्मी
जय लगन कुमार हैप्पी
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
नवरात्रि
नवरात्रि
पूर्वार्थ
दीप दीवाली का
दीप दीवाली का
कुमार अविनाश 'केसर'
..
..
*प्रणय*
गांव जीवन का मूल आधार
गांव जीवन का मूल आधार
Vivek Sharma Visha
गंगा की पुकार
गंगा की पुकार
Durgesh Bhatt
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
"वो दीवारें"
Dr. Kishan tandon kranti
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
बेचैनी तब होती है जब ध्यान लक्ष्य से हट जाता है।
Rj Anand Prajapati
चालाक क्रोध
चालाक क्रोध
अवध किशोर 'अवधू'
ज़िन्दगानी में
ज़िन्दगानी में
Dr fauzia Naseem shad
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
ज़िंदगी से शिकायतें बंद कर दो
Sonam Puneet Dubey
*हल्दी अब तो ले रही, जयमाला से होड़ (कुंडलिया)*
*हल्दी अब तो ले रही, जयमाला से होड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
खुद गुम हो गया हूँ मैं तुम्हे ढूँढते-ढूँढते
VINOD CHAUHAN
जून का महीना जो बीतने वाला है,
जून का महीना जो बीतने वाला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हरियाली तीज
हरियाली तीज
Rambali Mishra
Loading...