Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2024 · 1 min read

मुक्तक… छंद मनमोहन

१-
शीश झुकाकर करूँ नमन।
करो प्रभो सब पाप शमन।।
द्वेष-दंभ सब करें गमन।
रहे देश में सदा अमन।।

२-
सर-सर सर-सर चले पवन।
नर्तन करते धरा – गगन।।
मन विरहन के लगी अगन।
दुनिया खुद में रहे मगन।।

३-
कैसे उनको लगी भनक।
रखे यहाँ पर कनक-कनक।।
थी नयनों में नयी चमक।
खेल-खेल में गढ़ा यमक।।

४-
उठी हृदय में कौन सटक ?
करता क्यों ये उठा-पटक ?
पहले ही मन गया खटक ।
दर्पण भी लो गया चटक।।

५-
कितना ऊँचा उठा गगन।
फिर भी नीचे किए नयन।।
कर्म निरत नित रहे मगन।
हममें भी हो वही लगन।।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र.)

Language: Hindi
2 Likes · 273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ.सीमा अग्रवाल
View all

You may also like these posts

बुलबुलों का सतही सच
बुलबुलों का सतही सच
Nitin Kulkarni
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
दिल की आवाज़
दिल की आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
पैगाम
पैगाम
Shashi kala vyas
जहां आस्था है वहां प्रेम है भक्ति है,
जहां आस्था है वहां प्रेम है भक्ति है,
Ravikesh Jha
छलका छलका प्यार
छलका छलका प्यार
Girija Arora
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
खंडकाव्य
खंडकाव्य
Suryakant Dwivedi
हैं हमारे गुरू
हैं हमारे गुरू
राधेश्याम "रागी"
मधुब्रत गुंजन: एक अनूठा उपहार
मधुब्रत गुंजन: एक अनूठा उपहार
Sudhir srivastava
"पत्नी के काम "
Yogendra Chaturwedi
बतायें कौन-सा रस है ?
बतायें कौन-सा रस है ?
Laxmi Narayan Gupta
"किस बात का गुमान"
Ekta chitrangini
अल्फाज़
अल्फाज़
Shweta Soni
वंदना
वंदना
पंकज परिंदा
छठ माता
छठ माता
Dr Archana Gupta
भगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
भगण के सवैये (चुनाव चक्कर )
guru saxena
तेरे चेहरे पर कलियों सी मुस्कुराहट बनाए रखने के लिए।
तेरे चेहरे पर कलियों सी मुस्कुराहट बनाए रखने के लिए।
Rj Anand Prajapati
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
3433⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
खामोशी : काश इसे भी पढ़ लेता....!
VEDANTA PATEL
" चाह "
Dr. Kishan tandon kranti
कहने को हर हाथ में,
कहने को हर हाथ में,
sushil sarna
माता पिता
माता पिता
Taran verma
G
G
*प्रणय*
तय
तय
Ajay Mishra
समय की रेत
समय की रेत
शशि कांत श्रीवास्तव
ये कैसे आदमी है
ये कैसे आदमी है
gurudeenverma198
लफ़्ज़ों में आप जो
लफ़्ज़ों में आप जो
Dr fauzia Naseem shad
Loading...