राह कठिन है राम महल की,
राह कठिन है राम महल की,
अति श्रम करके है पाना।
भले मूर्ति की पूजा उत्तम,
पर उससे भी आगे जाना।
हनुमत को प्रसाद चढ़ाया,
दुर्गा देवी मन से ध्याया।
माधव का खुब भोग लगाया,
राम कथा भी मैंने गाया।
व्रत उपवास धूप बत्ती कर
मैंने भी प्रतिमा पूजा है।
पर मन में लगता था जैसे,
हरि पथ कहीं और दूजा है।
जैसे गुरुकुल जाए बच्चा,
मूर्ति की पूजा पहली कक्षा।
भक्ति में और आगे बढ़ना है,
पौड़ी पौड़ी पर चढ़ना है।
मानव तन है सच्चा मंदिर,
राम रमे है जिसके अंदर।
कैसे करनी हरि भक्ती है,
सतगुर कोल सही युक्ती है।
कर भक्ति गुरु दीक्षा पाकर,
बिन कौल तू बन जा चाकर।
सतगुर दर्शन और सत्संगा,
गुरु सेवा से मन हो चंगा।
सुमिरन करो गुरु को ध्यायो,
भजन करो चित चानन पाओ।
जिस दिन सतगुर होगा राजी,
चेला उस दिन जीते बाज़ी।
घण्टा बजे होय उजियारा,
हरि ने स्वयं आरती बारा।
सुन्न समाधी लग जायेगी,
धुन हरि कीरत खुद गायेगी।
हो जाएगी भक्ती पूरी,
बने आत्मा हरि पग धूरी।
मिल जायेगा परम ठिकाना।
मिटे जीव का आना जाना।