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30 Oct 2019 · 1 min read

वो लम्हे

यादों में कहीं,
अक्सर खो जाती हूँ,
याद आते है वो लम्हे,
जब था सब कुछ सतरंगी,दुनिया थी बस अपने रंग रंगी,
हंसी के चटकारे,खुशियों के गुब्बारे,
धानी चटक उमंगे और अतरंगी सपने,
चाँदी की पायलें, रंगबिरंगी चूड़ियाँ,
गहरा काजल ,गुलाबी होंठ,
सब कुछ रंगों से ओतप्रोत,
एक अलग ही रंगीली दुनिया,
छू ना पाया था जिसे फरेबी दुनिया का स्याह रंग,
सफेद चांदनी से यौवन के लम्हे,
सबसे खूबसुरत वो लम्हे ……..

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