Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#26 Trending Author
Dr. Kishan tandon kranti
294 Followers
Follow
Report this post
7 Nov 2024 · 1 min read
” फर्क “
” फर्क ”
वफ़ा मजहब ईमानदारी
कैसी बातें करते हो,
हाँ, उस दौर में इंसान थे
ये दौर कुछ और है।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
2 Likes
·
3 Comments
· 62 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
भूल कर
Dr fauzia Naseem shad
वो ही
Ruchi Sharma
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"सम्भावना"
Dr. Kishan tandon kranti
तबियत बदलती है
Kunal Kanth
रुसल कनिया
Bindesh kumar jha
परवरिश
Shashi Mahajan
बारिश
मनोज कर्ण
जंजालों की जिंदगी
Suryakant Dwivedi
कुछ लोग जन्म से ही खूब भाग्यशाली होते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
बहुत आसान है भीड़ देख कर कौरवों के तरफ खड़े हो जाना,
Sandeep Kumar
मज़हब ही है सिखाता आपस में वैर रखना
Shekhar Chandra Mitra
यह जो आँखों में दिख रहा है
डॉ. दीपक बवेजा
सपनों पर इंसान का,
sushil sarna
3348.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
“ सर्पराज ” सूबेदार छुछुंदर से नाराज “( व्यंगयात्मक अभिव्यक्ति )
DrLakshman Jha Parimal
अच्छा लगता है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
🙅विज्ञापन जगत🙅
*प्रणय*
बहुत जरूरी है तो मुझे खुद को ढूंढना
Ranjeet kumar patre
श्रंगार
Vipin Jain
कहने को बाकी क्या रह गया
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
एक संदेश युवाओं के लिए
Sunil Maheshwari
बेटी की शादी
विजय कुमार अग्रवाल
हम कोई भी कार्य करें
Swami Ganganiya
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
शांति से खाओ और खिलाओ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
शराब हो या इश्क़ हो बहकाना काम है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
यहाँ गर्भ जनता है धर्म
Arun Prasad
*भीड़ में चलते रहे हम, भीड़ की रफ्तार से (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चाय दिवस
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
Loading...