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28 Oct 2024 · 1 min read

सच कहना बचा रह जाता है

सच कहना बचा रह जाता है
———————————-
जितना भी कहो
सच कहना बचा रह जाता है।
जिन्दगी छोटी हो या बढ़ी
सुख से सराबोर अथवा दुःख से भरी।
अनकहा कुछ तो रह जाता है।
यह बेकहा आत्मकथा नहीं है।
आत्मकथन है
व्यंजन पर न डाला जा सकने वाला
अपना स्वर है।
सच कहना बचा रह जाता है

जीवन में सब स्वच्छ नहीं होता।
अस्वच्छता जीते हुए
स्वच्छता जीने का भ्रम रहता है।
सच बचाने के लिए जैसे मिथ्या कहन।
जीवन जीने का कोई निर्धारित क्रम नहीं है।
बिना जीये कुछ जैसे जीना रह जाता है।
सच कहना बचा रह जाता है।

जिन्दगी को इश्तहार और नारे की भाँति जीने से
कौन सब कुछ जी सकता है।
संघर्षों व सुलभताओं की कथा में
स्वयं को सहज रखना असहज ही होता है।
इसलिए
सच कहना बचा रह जाता है।
सच कहना जितना भी बचा रह जाये
जिया तो सब रहता है।
———————————————————30-9-24

Language: Hindi
72 Views

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