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26 Oct 2024 · 1 min read

गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।

गीत ग़ज़लों की साक्षी वो अट्टालिका।
याद मुझको है आती वो अट्टालिका।

पूछता कौन किसकी वो अट्टालिका?
घर के ऊपर अभागी वो अट्टालिका।

खेत खलिहान सबने लिए चाव से,
मेरे हिस्से में आयी वो अट्टालिका।

संगमरमर लगा पूरे घर में मगर,
देख लो जाके कच्ची वो अट्टालिका।

माँ की यादों में रोता मैं छुपकर कभी,
संग मेरे सुबकती वो अट्टालिका।

साथ उसके न कोई, अकेली खड़ी
है सुकोमल कुँवारी वो अट्टालिका।

एक पल को अगर खुश मैं होता कभी,
ख़श्बुओं सी महकती वो अट्टालिका।

सुनके ग़ज़लों को मेरी हुई है जवां,
है मेरी खुशनसीबी वो अट्टालिका।

प्रेयसी थी मेरी या कहूं और कुछ,
रोज सजती संवरती वो अट्टालिका।

लफ़्ज उलझे रहे ज़िंदगी के मेरी,
एक सुलझी कहानी वो अट्टालिका।

दौड़ मंदिर से मस्ज़िद रही आज तक,
मेरी गोवा मनाली वो अट्टालिका।

फिर से ऊपर “परिंदों” का मजमा लगा,
जाने कबसे थी खाली वो अट्टालिका..?

पंकज शर्मा “परिंदा” 🕊

Language: Hindi
64 Views

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