कितने बेबस लग रहे, इंसानी किरदार।
जीवन दर्शन
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
तोड़ दो सारी हदें तुम हुस्न से दीदार की ।
खोले हैं जज्बात के, जब भी कभी कपाट
अंतर्राष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर ...
क़ैद-ए-जाँ से वो दिल अज़ीज़ इस क़दर निकला,
अनुभव अमूल्य कसौटी हैं , मेरे पास एक दिपक हैं , जो मुझे मार्
चंद रुपयों के लिए जो वतन को छोड़ कर गैर मुल्क में बस्ते है ,
अपनी ताकत को कलम से नवाजा जाए
मां तौ मां हैं 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
याद - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
कहते हैं की चाय की चुस्कियो के साथ तमाम समस्या दूर हो जाती