जनता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
*मैं वर्तमान की नारी हूं।*
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
सच के साथ ही जीना सीखा सच के साथ ही मरना
असूयैकपदं मृत्युरतिवादः श्रियो वधः।
चाहत किसी को चाहने की है करते हैं सभी
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
बड़े लोगों का रहता, रिश्वतों से मेल का जीवन (मुक्तक)