तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
गुरु चरणों की धूल*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
The moon you desire to see everyday, maybe I can't be that
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
ज़िंदगी, ज़िंदगी ढूंढने में ही निकल जाती है,
चोरों की बस्ती में हल्ला है
असत्य पर सत्य की जीत तभी होगी जब
हँसती है कभी , रुलाती भी है दुनिया।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
हे राम जी! मेरी पुकार सुनो
तोड़कर दिल को मेरे इश्क़ के बाजारों में।
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया