दर्द को मायूस करना चाहता हूँ
ग़ौर से ख़ुद को देख लो तुम भी ।
बहुत कुछ पाना, बहुत कुछ खोना।
अमीर जिन महलों को सपनों का आशियाना कहते हैं,
#शोभा धरतीमात की
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
एक उजली सी सांझ वो ढलती हुई
*चलें साध कर यम-नियमों को, तुम्हें राम जी पाऍं (गीत)*
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
प्लास्टिक प्रदूषण घातक है
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