Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
VINOD CHAUHAN
134 Followers
Follow
Report this post
24 Aug 2024 · 1 min read
लोग कहते रहे
लोग कहते रहे
और मैं सुनता रहा
आज मैं जो करने बैठा हूँ
लोग मेरी औकात आंकते हैं
Tag:
Quote Writer
Like
Share
1 Like
· 92 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from VINOD CHAUHAN
View all
कलम की जुबां से
Vinod Chauhan
गूँजते अल्फ़ाज़
Vinod Chauhan
मैं तो महज......... हूँ
Vinod Chauhan
You may also like these posts
आधार खेती बारी
आकाश महेशपुरी
शिकायत
Ruchika Rai
खुदा को ढूँढा दैरो -हरम में
shabina. Naaz
ग़ज़ल पढ़ते हो
manjula chauhan
विषय-"जलती रही!"
Priya princess panwar
शुभकामना
DrLakshman Jha Parimal
कोंपलें फिर फूटेंगी
Saraswati Bajpai
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
सुविचार
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
गर्म साँसें,जल रहा मन / (गर्मी का नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
..
*प्रणय*
समझ
मधुसूदन गौतम
चल पनघट की ओर सखी।
Anil Mishra Prahari
गम
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मुझे भी अब उनकी फ़िक्र रहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
या तो युद्ध छेड़ दो हमसे,
पूर्वार्थ
समय को पकड़ो मत,
Vandna Thakur
चाटिये
Kunal Kanth
"मैं पूछता हूँ"
Dr. Kishan tandon kranti
एक नया वादा
Usha Gupta
माँ को दिवस नहीं महत्व चाहिए साहिब
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
आज रात कोजागरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
बहादुर बेटियाँ
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
सच
Neeraj Agarwal
दोस्त
Rambali Mishra
हम–तुम एक नदी के दो तट हो गए– गीत
Abhishek Soni
ये हक़ीक़त
Dr fauzia Naseem shad
शेखर सिंह
शेखर सिंह
Loading...