Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2024 · 1 min read

*शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छ

शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है (राधेश्यामी छंद )
_________________________
शिक्षक के चरणों को पूजो, वह देश-समाज जगाता है
शिक्षक का जो आचरण रहा, वैसा समाज बन जाता है
शिक्षक ही शिष्यों को सुधार, जीवन में पूर्ण बनाएगा
शिक्षक यदि सुखी-प्रसन्न हुआ, तो रामराज्य आ जाएगा

रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

115 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

हम जियें  या मरें  तुम्हें क्या फर्क है
हम जियें या मरें तुम्हें क्या फर्क है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सुखांत
सुखांत
Laxmi Narayan Gupta
कितना कुछ बाकी था
कितना कुछ बाकी था
Chitra Bisht
तेवरी’ का शिल्प ग़ज़ल का है ‘ + देवकीनन्दन ‘शांत’
तेवरी’ का शिल्प ग़ज़ल का है ‘ + देवकीनन्दन ‘शांत’
कवि रमेशराज
ईश्वर प्रेम पियासा
ईश्वर प्रेम पियासा
Sanjay ' शून्य'
सरकार हैं हम
सरकार हैं हम
pravin sharma
खुली किताब
खुली किताब
Shyam Sundar Subramanian
सत्य कहाँ ?
सत्य कहाँ ?
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
मेरे सब्र का इंतिहा कब तलक होगा
Phool gufran
ख़ुद-बख़ुद टूट गया वक़्त के आगे बेबस।
ख़ुद-बख़ुद टूट गया वक़्त के आगे बेबस।
*प्रणय*
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
प्रभु शुभ कीजिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हरियाली तीज😇
हरियाली तीज😇
Dr. Vaishali Verma
सीखा रहा उड़ना मुझे, जिस गति से सैयाद ।.
सीखा रहा उड़ना मुझे, जिस गति से सैयाद ।.
RAMESH SHARMA
As gulmohar I bloom
As gulmohar I bloom
Monika Arora
इक मेरे रहने से क्या होता है
इक मेरे रहने से क्या होता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
TDTC / - Thiên Đường Trò Chơi là một cổng game bài đổi thưởn
TDTC / - Thiên Đường Trò Chơi là một cổng game bài đổi thưởn
tdtcpress1
Window Seat
Window Seat
R. H. SRIDEVI
2858.*पूर्णिका*
2858.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
Tushar Jagawat
हर इश्क में रूह रोता है
हर इश्क में रूह रोता है
Pratibha Pandey
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
कुछ ऐसे भी लोग कमाए हैं मैंने ,
Ashish Morya
स्वार्थ चाहे किसी भी प्रकार का हो, हमेशा दुखदाई होता है। अतः
स्वार्थ चाहे किसी भी प्रकार का हो, हमेशा दुखदाई होता है। अतः
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
सफ़र में आशियाना चाहता है
सफ़र में आशियाना चाहता है
Kanchan Gupta
कविता- जनजातीय विद्रोह
कविता- जनजातीय विद्रोह
आर.एस. 'प्रीतम'
जाने क्यों भागती है दुनिया खूबसूरती के पीछे।
जाने क्यों भागती है दुनिया खूबसूरती के पीछे।
Annu Gurjar
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
बिछड़ना जो था हम दोनों को कभी ना कभी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" लॉलीपॉप "
Dr. Kishan tandon kranti
अपने-अपने दम्भ की,
अपने-अपने दम्भ की,
sushil sarna
सुरक से ना मिले आराम
सुरक से ना मिले आराम
AJAY AMITABH SUMAN
Loading...