ज़िंदगी की उलझनों के सारे हल तलाश लेता।
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
तूफ़ान है ये कैसा , थमता नहीं ये दिखता,
दुनिया को पता है कि हम कुंवारे हैं,
चले आते हैं उलटे पाँव कई मंज़िलों से हम
*नए वर्ष में स्वस्थ सभी हों, धन-मन से खुशहाल (गीत)*
पितामह भीष्म को यदि यह ज्ञात होता