Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

मानवता का है निशान ।

आंँसू आँखों से छलके कैसे?
मानवता का हृदय धड़के बंध के,
दुःख भी दुःख-सा न होता प्रतीत,
मिल जाये जब मौका कभी,
हाथ बढ़ा दो ,एहसास जगा लो,
मानवता का है निशान यही।

जीवन कैसा हो ?
किसने पूछा है?
खुद को तुम समझा लो बस,
अंँधेरा छा जाये जिस घर के अंदर,
एक दीया जरूर जला देना,
रोशन मानवता को कर देना।

रिश्ते कैसे भी हो?
कितनी भी कर्कस ध्वनि तुम्हारी,
निःस्वार्थ भाव से कर दो सिर्फ सेवा,
अलख जगेगी उस मन के अंदर,
प्रीत अति बढ़ती ही जाएगी,
मानवता की मिशाल जगायेगी।

पहचान कहाँ है?
होती है कैसे?
दया भावना होती है जिनमे,
बनते है प्रेणना के स्रोत,
एक- एक कदम बढ़ाया जाये,
पद चिंन्ह मानवता का उभरे आज।

क्यों तू रोता है ?
हताश नहीं होना,
मिटा नहीं हूँ ! न हूँ खिलौना !
साथ तेरा कोई दे जाएगा,
छाप मेरा ही छोड़ बताएगा,
कहीं छुपा हुआ हूँ सभी के अंदर।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,

3 Likes · 189 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

कोरोना और सख्त निर्णय
कोरोना और सख्त निर्णय
ललकार भारद्वाज
काजल
काजल
Rambali Mishra
Life is not a cubic polynomial having three distinct roots w
Life is not a cubic polynomial having three distinct roots w
Ankita Patel
"" *श्रीमद्भगवद्गीता* ""
सुनीलानंद महंत
ये संवेदनशून्यता अब साहस का एहसास दिलाती है
ये संवेदनशून्यता अब साहस का एहसास दिलाती है
Manisha Manjari
वक्त गुजर जायेगा
वक्त गुजर जायेगा
Sonu sugandh
निर्वात का साथी🙏
निर्वात का साथी🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दिल
दिल
इंजी. संजय श्रीवास्तव
कभी कुछ ऐसे ही लिखा करो जनाब,
कभी कुछ ऐसे ही लिखा करो जनाब,
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
गांव में जब हम पुराने घर गये,
गांव में जब हम पुराने घर गये,
पंकज परिंदा
लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री
लेखक डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बहुत फुर्सत मै पढ़ना आनंद आ जायेगा......
बहुत फुर्सत मै पढ़ना आनंद आ जायेगा......
Rituraj shivem verma
मॉर्निंग वॉक
मॉर्निंग वॉक
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
आज अचानक फिर वही,
आज अचानक फिर वही,
sushil sarna
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्रेम
प्रेम
Karuna Bhalla
कुछ असली कुछ नकली
कुछ असली कुछ नकली
Sanjay ' शून्य'
पहचान मुख्तलिफ है।
पहचान मुख्तलिफ है।
Taj Mohammad
जमीर पर पत्थर रख हर जगह हाथ जोड़े जा रहे है ।
जमीर पर पत्थर रख हर जगह हाथ जोड़े जा रहे है ।
अश्विनी (विप्र)
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
खुद के साथ ....खुशी से रहना......
Dheerja Sharma
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
मैं भी क्यों रखूं मतलब उनसे
gurudeenverma198
इश्क में तेरे
इश्क में तेरे
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
*रोज बदलते अफसर-नेता, पद-पदवी-सरकार (गीत)*
*रोज बदलते अफसर-नेता, पद-पदवी-सरकार (गीत)*
Ravi Prakash
मेरी मां
मेरी मां
Anop Bhambu
3988.💐 *पूर्णिका* 💐
3988.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मैं गांठ पुरानी खोलूँ क्या?
मैं गांठ पुरानी खोलूँ क्या?
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
उद्देश और लक्ष्य की परिकल्पना मनुष्य स्वयं करता है और उस लक्
DrLakshman Jha Parimal
सवाल और जिंदगी
सवाल और जिंदगी
पूर्वार्थ
आओ बाहर, देखो बाहर
आओ बाहर, देखो बाहर
जगदीश लववंशी
*** बचपन : एक प्यारा पल....!!! ***
*** बचपन : एक प्यारा पल....!!! ***
VEDANTA PATEL
Loading...