Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Jul 2024 · 1 min read

मेरे गुरु

मेरे गुरु

मेरे गुरुजी सबसे प्यारे
सबसे न्यारे
अधूरे ज्ञान को करते है पूरे
मान – सम्मान,स्वाभिमान में पूरे

समग्र ज्ञान का है भंडारण
समस्त समस्या का है करते निवारण

क्रियाकलाप बहुत कराते
उस पर अव्वल हम आ जाते

कविता सुनाते ,कहानी सुनाते
सभी विषय ओ हमें पढ़ाते
गुरु की महिमा अपार
शिष्यों के करे सपने साकार ।

समस्त गुरुओं का आभार
कृतज्ञता है सार।

रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग

Loading...