बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही..
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
सुनो जरा कविता कुछ कहती है
सोच हमारी अपनी होती हैं।
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
जब इक कहानी की अंत होती है,
*झगड़े बच्चों में कहॉं चले, सब पल-दो पल की बातें हैं (राधेश्
हार नहीं जाना
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
बंदिश में नहीं रहना है
Vishnu Prasad 'panchotiya'
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर