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8 Jul 2024 · 1 min read

बुंदेली दोहे- खांगे (विकलांग)

बुंदेली दोहा- विषय -खाँगे (विकलांग)*

खाँगे हौ गय युद्ध में,#राना सुने कमाल।
दुश्मन छाती चीर कै,सैनिक आये हाल।।

बिना बिचारै निग गयै,गैल देख नँइँ पाइ।
खाँगे हौ गय पाँव सै,#राना तकी न खाइ।।

डरपोका खाँगे बनै,सबरै हँसी उड़ात।
पूँछत लूलै क्यें बनै,#राना सब मुस्कात।।

कर्म न यैसे कीजिए,जौ खाँगे हौ जावँ।
‘राना’रखकै हौसला,काज सफल कर आवँ।।

जौन काम लौ हात में,खाँगे नँइँ बै होयँ।
विनती करियौ राम से,#राना सार निचोयँ।।

एक हास्य दोहा –

धना कात’राना’सुनौ,खाँगे काय दिखात।
चप्पल टूटी हात लय,फिररय आज लुलात।।
🙆‍♂️🙋😂 दिनांक-8.7.2024
दोहाकार ✍️ राजीव नामदेव”राना लिधौरी”
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
संपादक- ‘अनुश्रुति’ त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email – ranalidhori@gmail.com

2 Likes · 1 Comment · 141 Views
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