Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
Dr. Kishan tandon kranti
293 Followers
Follow
Report this post
7 Jul 2024 · 1 min read
” हुनर “
” हुनर ”
कभी इस हुनर को जरूर आजमाना,
जंग जब अपनों से हो तो हार जाना।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
2 Likes
·
2 Comments
· 109 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
पूनम का चाँद (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तस्वीर बदल रही है (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
नवा रद्दा (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
तइहा ल बइहा लेगे (कविता-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
परछाई के रंग (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सबक (लघुकथा-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
सौदा (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
जमीं के सितारे (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
बेहतर दुनिया के लिए (काव्य-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
मेला (कहानी-संग्रह)
Kishan Tandon Kranti
You may also like these posts
तलाशता हूँ - "प्रणय यात्रा" के निशाँ
Atul "Krishn"
I love sun
Otteri Selvakumar
"मोबाइल फोन"
Dr. Kishan tandon kranti
4635.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
तब जानोगे
विजय कुमार नामदेव
-बढ़ी देश की शान-
ABHA PANDEY
Mostly relationships will get “Boring” after you have been t
पूर्वार्थ
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
- होली के रंग अपनो के रंग -
bharat gehlot
आवाहन
Shyam Sundar Subramanian
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
प्रेम वो भाषा है
Dheerja Sharma
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
क्या सोचा था डर जाऊंगा
Ritesh Deo
शक
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
सनातन संस्कृति
Bodhisatva kastooriya
নিমন্ত্রণ
Pijush Kanti Das
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*घट-घट वासी को को किया ,जिसने मन से याद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
Neelam Sharma
वायु प्रदूषण रहित बनाओ।
Buddha Prakash
तुझमे कुछ कर गुजरने का यहीं जूनून बरकरार देखना चाहता हूँ,
Ravi Betulwala
कलम और कविता
Surinder blackpen
मेरी ख़ूबी बस इत्ती सी है कि मैं "ड्रिंकर" न होते हुए भी "थिं
*प्रणय*
वरद् हस्त
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
आभासी संसार का,
sushil sarna
जाने बचपन
Punam Pande
मेरे जज्बात जुबां तक तो जरा आने दे
RAMESH SHARMA
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
ओसमणी साहू 'ओश'
Loading...