नज़र मिल जाए तो लाखों दिलों में गम कर दे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
वो गली का मुहाना,वो नुक्कड़ की दुकान
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
ये माना तुमने है कैसे तुम्हें मैं भूल जाऊंगा।
Casino 23Win mang đến không gian giải trí hiện đại với hàng
पीठ पर लगे घाव पर, मरहम न लगाया मैंने।
हर मुश्किल का हल निकलेगा..!
जो दिखाते हैं हम वो जताते नहीं