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7 May 2024 · 1 min read

जीना सीखा

दर्द दिल में हमने छुपाकर जीना सीखा
खुद तो रोया सबको हंसाकर जीना सीखा

एक बेहया से थी कभी मोहब्बत हमको
हर खुशी उस पर लुटाकर जीना सीखा

तोड़ दिया दिल छीन ली खुशियां जिसने
उसके आगे गम छुपाकर जीना सीखा

फर्ज की खातिर अपनों की खुशी के लिए
चाहत अपनी भुलाकर यूँ जीना सीखा

हर कोई हंसता था यूँ ही सादगी पर मेरी
सबको आईना दिखाकर जीना सीखा

दोस्त कहते थे कैसे जी पाएगा उस बिन
महफिल फिर भी सजाकर जीना सीखा

वक्त ने भी बार-बार आजमाया मुझको
हर तुफान से टकराकर जीना सीखा

खुदा ने भी फरियाद नहीं सुनी दिल की
अपना रस्ता खुद बनाकर जीना सीखा

“V9द” गिला करे उसकी फितरत में नहीं
गैर को भी गले लगाकर जीना सीखा

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 124 Views
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