Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2024 · 1 min read

धनुष वर्ण पिरामिड

धनुष वर्ण पिरामिड

है
चाल
बहुत
अलबेली
गमके जिमि
मधुर चमेली
अति प्रिय खुश है
करती रहती है
अनुपम लीला
रंग रंगीला
प्रीति वृत्ति
निर्मला
कला
है।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 57 Views

You may also like these posts

"मेरी कहानी"
Lohit Tamta
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक
श्रीकृष्ण शुक्ल
एक मुलाकात
एक मुलाकात
PRATIK JANGID
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
Shubham Pandey (S P)
राम रावण युद्ध
राम रावण युद्ध
Kanchan verma
रजस्वला
रजस्वला
के. के. राजीव
ना फूल मेरी क़ब्र पे
ना फूल मेरी क़ब्र पे
Shweta Soni
यादों की जीवंत यात्रा
यादों की जीवंत यात्रा
Minal Aggarwal
लोगों को कहने दो
लोगों को कहने दो
Jyoti Roshni
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
जिंदगी.... कितनी ...आसान.... होती
Dheerja Sharma
"ख़्वाहिशें"
Dr. Kishan tandon kranti
30 वाॅ राज्य
30 वाॅ राज्य
उमा झा
Life isn't all about dating. Focus on achieving your goals a
Life isn't all about dating. Focus on achieving your goals a
पूर्वार्थ
हर लफ्ज़ मे मोहब्बत
हर लफ्ज़ मे मोहब्बत
Surinder blackpen
पूछन लगी कसूर
पूछन लगी कसूर
RAMESH SHARMA
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
sushil sarna
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
Ranjeet kumar patre
तेरे हम है
तेरे हम है
Dinesh Kumar Gangwar
परख और पारखी
परख और पारखी
Mahender Singh
Hard To Love
Hard To Love
Vedha Singh
जब सत्य प्रकाशमय हो
जब सत्य प्रकाशमय हो
Kavita Chouhan
कुछ पल तेरे संग
कुछ पल तेरे संग
सुशील भारती
अंजान बनकर चल दिए
अंजान बनकर चल दिए
VINOD CHAUHAN
जब बात नई ज़िंदगी की करते हैं,
जब बात नई ज़िंदगी की करते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नया वर्ष नया हर्ष,खुशियों का नवदर्श|
नया वर्ष नया हर्ष,खुशियों का नवदर्श|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
प्रीति घनेरी
प्रीति घनेरी
Rambali Mishra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
3161.*पूर्णिका*
3161.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
किताब के किसी पन्ने में गर दर्दनाक कोई कहानी हो
Ajit Kumar "Karn"
*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*
*कितनी भी चालाकी चल लो, समझ लोग सब जाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
Loading...