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24 May 2024 · 1 min read

मैं- आज की नारी

१९)
“ मैं- आज की नारी “

मैं आज की नारी
हूँ सब पर भारी
पुरानी बातें नहीं सुनना है
नए तराने मुझको गढ़ना है॥

मेरे भी कुछ अरमान है
दिल मेरा भी नादान है
करना चाहूँ कुछ काम नया
बनाना चाहूँ इक जहाँ नया ॥

घर काम से जी चुराती नहीं
मेहनत से मैं घबराती नहीं
चुनौतियों से मैं डरती नहीं
बेवजह मैं लड़ती नहीं ॥

पहाड़ों पर मैं चढ़ जाती हूँ
विमानों को मैं उड़ा ले जाती हूँ
छुकछुक गाड़ी भी चलाती हूँ
विदेशों में धाक जमाती हूँ ॥

फ़िल्म जगत हो या राजनीति
खेल या मीडिया,कहीं नहीं इति
अभी दूर तलक मुझको जाना है
चाँद पर अपना घर बनाना है ॥

मैं आज की नारी
हूँ सब पर भारी ॥

स्वरचित और मौलिक
उषा गुप्ता , इंदौर

2 Likes · 1 Comment · 103 Views
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