Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2024 · 2 min read

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमा

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है

हम वह आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखें हैं.बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को संभव होता देखा है.

● हम वो आखिरी पीढ़ी हैं

जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है।

● हम वो आखिरी लोग हैं…

जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, लँगड़ी टांग, आइस पाइस, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे, सितोलिया जैसे खेल खेले हैं।

● हम वो आखिरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होंने चिमनी , लालटेन, कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं।

● हम उसी पीढ़ी के लोग हैं…

जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

● हम उस आखिरी पीढ़ी के लोग हैं

जिन्होंने कूलर, एसी या हीटर के बिना ही बचपन गुज़ारा है। और बिजली के बिना भी गुज़ारा किया है।

जो अक्सर अपने छोटे बालों में, सरसों का ज्यादा तेल लगा कर, स्कूल और शादियों में जाया करते थे।

जिन्होंने स्याही वाली दावात या पेन से कॉपी, किताबें, कपडे और हाथ काले, नीले किये है। तख़्ती पर सेठे की क़लम से लिखा है और तख़्ती घोटी है।

जिन्होंने टीचर्स से मार खाई है. और घर में शिकायत करने पर फिर मार खाई है

जो मोहल्ले के बुज़ुर्गों को दूर से देख कर, नुक्कड़ से भाग कर, घर आ जाया करते थे. और समाज के बड़े बूढों की इज़्ज़त डरने की हद तक करते थे।

जिन्होंने अपने स्कूल के सफ़ेद केनवास शूज़ पर, खड़िया का पेस्ट लगा कर चमकाया हैं
काफी समय तक सुबह काला या लाल दंत मंजन या सफेद टूथ पाउडर इस्तेमाल किया है और कभी कभी तो नमक से या लकड़ी के कोयले से दांत साफ किए हैं।

जिन्होंने चांदनी रातों में, रेडियो पर BBC की ख़बरें, विविध भारती, आल इंडिया रेडियो, बिनाका गीत माला और हवा महल जैसे प्रोग्राम सुने हैं।

1 Like · 355 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*हे शारदे मां*
*हे शारदे मां*
Dr. Priya Gupta
उलझन !!
उलझन !!
Niharika Verma
इंसाफ कहां मिलेगा?
इंसाफ कहां मिलेगा?
जय लगन कुमार हैप्पी
2122 1122 1122 22
2122 1122 1122 22
sushil yadav
देखिए आप आप सा हूँ मैं
देखिए आप आप सा हूँ मैं
Anis Shah
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
Neeraj Naveed
"यही वक्त है"
Dr. Kishan tandon kranti
शैव्या की सुनो पुकार🙏
शैव्या की सुनो पुकार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भीमराव निज बाबा थे
भीमराव निज बाबा थे
डिजेन्द्र कुर्रे
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
नास्तिकों और पाखंडियों के बीच का प्रहसन तो ठीक है,
शेखर सिंह
मदिरा
मदिरा
Shekhar Deshmukh
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
*रिमझिम-रिमझिम बारिश यह, कितनी भोली-भाली है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
Ayushi Verma
वही वक्त, वही हालात लौट आया;
वही वक्त, वही हालात लौट आया;
ओसमणी साहू 'ओश'
4093.💐 *पूर्णिका* 💐
4093.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
.
.
*प्रणय प्रभात*
नेता विपक्ष
नेता विपक्ष
विजय कुमार अग्रवाल
भर नहीं पाये जो, नासूर है वो धाव नहीं
भर नहीं पाये जो, नासूर है वो धाव नहीं
Dr fauzia Naseem shad
"जुदाई"
Priya princess panwar
"Communication is everything. Always always tell people exac
पूर्वार्थ
मुहब्बत
मुहब्बत
Dr. Upasana Pandey
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
इस धरातल के ताप का नियंत्रण शैवाल,पेड़ पौधे और समन्दर करते ह
Rj Anand Prajapati
sp71 हसरत ही नहीं
sp71 हसरत ही नहीं
Manoj Shrivastava
🌸🌼जो न सोचा वो हूँ मैं🍀🍀
🌸🌼जो न सोचा वो हूँ मैं🍀🍀
Dr. Vaishali Verma
रंग
रंग
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
इस देश की ख़ातिर मिट जाऊं बस इतनी ..तमन्ना ..है दिल में l
sushil sarna
शिक्षक दिवस पर दोहे रमेश के
शिक्षक दिवस पर दोहे रमेश के
RAMESH SHARMA
आग पानी में भी लग सकती है
आग पानी में भी लग सकती है
Shweta Soni
खुद को ही मैं भूल गया हूँ
खुद को ही मैं भूल गया हूँ
Vindhya Prakash Mishra
ବିଶ୍ୱାସରେ ବିଷ
ବିଶ୍ୱାସରେ ବିଷ
Bidyadhar Mantry
Loading...