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5 Sep 2017 · 1 min read

शिक्षक दिवस पर दोहे रमेश के

मुश्किल है इस दौर में,…. मानव की पहचान ।
सद्गुरु पाना किस तरह, होगा फिर आसान ।।

गुरु दिखलाए राह जब ,मिले नसीहत ज्ञान ।
खिले उन्ही की सीख से, जीवन का उद्यान ।।

शिक्षक का होता नहीं, खत्म कभी टेलेन्ट ।
और न शिक्षा से कभी, मिले रिटायरमेंट ।।

जाने कैसा दौर है, रही नहीं अब शर्म ।
गुरु चेला दोनों यहाँ ,. भूले अपना धर्म ।।

शिक्षक व्यापारी बने,शिक्षा जब व्यापार ।
सपने तब धनहीन के,…कैसे लें आकार ।।

दिया अंगूठा द्रोण को, ….एकलव्य ने काट ।
रहे न ऐसे शिष्य अब, जिनका ह्रदय विराट।।
रमेश शर्मा.

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