Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2024 · 4 min read

*पल्लव काव्य मंच द्वारा कवि सम्मेलन, पुस्तकों का लोकार्पण तथ

पल्लव काव्य मंच द्वारा कवि सम्मेलन, पुस्तकों का लोकार्पण तथा साहित्यकार सम्मान समारोह का रामपुर में अभूतपूर्व आयोजन
🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
19 मई 2024 रविवार रामपुर के साहित्यिक आकाश पर स्वर्ण अक्षरों में अंकित दिवस बन गया। पचास से अधिक साहित्यकार उत्सव पैलेस रामलीला मैदान के एयर कंडीशन्ड हॉंल में एकत्र हुए। प्रातः 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक साहित्यिक दिवस आयोजित हुआ। पल्लव काव्य मंच की स्थापना के आज चालीस वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। अतः अध्यक्ष शिवकुमार चंदन जी ने इस कार्य को रामपुर में धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया। तन मन धन से लग गए।
दोपहर में 2:00 बजे से 2:30 बजे तक भोजन का प्रबंध था। हलवाई की गरम-गरम पूड़ियॉं से अतिथियों का स्वागत सत्कार था। एसी हॉल की ठंडक बाहर की गर्मी का एहसास नहीं होने दे रही थी। मंच पर तथा श्रोताओं की अग्रिम पंक्तियों में गुदगुदे सोफे थे। पीछे आरामदायक कुर्सियां थीं।

कार्यक्रम में रामपुर से ज्यादा रामपुर के बाहर के कवि और लेखक अपनी उपस्थिति से आयोजन को साहित्य का कुंभ बनाने की घोषणा कर रहे थे। सभी चेहरे परिचित थे।
दीपक गोस्वामी चिराग बहजोई से पधारे थे। आपकी काव्य कृति ‘बाल रामायण’ की समीक्षा कुछ समय पहले मैंने की थी। आपसे भेंट अत्यंत आनंददायक रही। पल्लव काव्य मंच के कुंडलिया-समीक्षक गाफिल स्वामी जी का अभिनंदन करने का भी हमें सुअवसर प्राप्त हुआ। आकाशवाणी के असीम सक्सेना जी, रामपुर रजा लाइब्रेरी की डॉक्टर प्रीति अग्रवाल तथा इरशाद साहब के अभिनंदन में भी हमें सहभागिता का अवसर प्राप्त हुआ।
पल्लव काव्य मंच के गीत-समीक्षक डॉक्टर बृजेंद्र पाल सिंह जी को हम बड़ी मुश्किल से पहचान पाए क्योंकि मंच पर जो सज्जन विराजमान थे वह दुबले-पतले थे जबकि व्हाट्सएप-समूह पर उनका चित्र कम से कम दस साल पुराना जान पड़ता था। जब हमने अपना नाम बताया और उनका नाम पूछा, तब दोनों आपस में चिर-परिचित अवस्था को प्राप्त हुए।
डॉक्टर महेश मधुकर जी पल्लव काव्य मंच के वरिष्ठ समीक्षक हैं। आपसे पहले भी भेंट हुई है हृदय गदगद हो गया। पुस्तक-समीक्षक अतुल जी अपनी पुस्तक मुरारी की चौपाल से अधिक प्रसिद्ध हुए हैं। आपसे मुलाकात हुई तो पता चला कि आपकी 45 पुस्तक-समीक्षाओं का संग्रह प्रकाशित होने जा रहा है।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शिव कुमार चंदन जी का कुंडलिया संग्रह ‘तू ही प्राणाधार’ पुस्तक का लोकार्पण था। इस पुस्तक की समीक्षा हमारे द्वारा लिखकर पल्लव काव्य मंच व्हाट्सएप समूह आदि सोशल मीडिया मंचों पर प्रकाशित हो चुकी है। हमारे लिए बड़े गौरव की बात है कि अपने कुंडलिया संग्रह में चंदन जी ने एक कुंडलिया हमारी प्रशंसा में भी लिखी है। उनका हृदय से धन्यवाद।

अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक का लोकार्पण डॉक्टर प्रीति अग्रवाल जी की पुस्तक ‘रामपुर रियासत में हिंदू कवि और शायर’ रहा। डॉक्टर प्रीति अग्रवाल इतिहास की उत्साही शोधकर्ता हैं ।रजा लाइब्रेरी में उपलब्ध ‘इंतखाबे यादगार’ पुस्तक के भीतर छिपे रहस्यों को उन्होंने खोज कर अपनी पुस्तक के द्वारा उद्घाटित किया है। पुस्तक बताती है कि रामपुर में इतिहास का एक दौर नवाब कल्बे अली खान का ऐसा भी था, जब रियासत में धर्मनिरपेक्ष शासन था। सर्वधर्म समभाव की ध्वजा फहराती थी। हिंदू मुसलमान के साथ कोई भेदभाव नहीं होता था। रियासत में नवाबी शासन की स्थापना के बाद यह नवाब कल्बे अली खान का ही शासन था; जब स्वयं शासक द्वारा सोने की ईंट रखकर पंडित दत्तराम के शिवालय का शिलान्यास हुआ था। डॉक्टर प्रीति अग्रवाल की पुस्तक इस सुनहरे दौर की यादें ताजा करती है।

एक अन्य पुस्तक जावेद रहीम साहब की ‘एहसास के दायरे’ भी लोकार्पित हुई। कार्यक्रम की सूची में स्थान न होते हुए भी वीर सावरकर के दृष्टिकोण पर दृष्टिपात करने वाली एक पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया। यह रामपुर के बाहर से पधारे एक उत्साही लेखक के द्वारा लिखी गई थी।

पल्लव काव्य मंच के गजल-समीक्षक ओंकार सिंह विवेक जी ने कार्यक्रम के कुछ अंश का सफलता पूर्वक संचालन किया। उसके बाद मंच के ही एक अन्य प्रतिभाशाली हास्य व्यंग्य के कवि बाहर से पधारे गोपाल ठहाका जी ने मंच संचालन अपने हाथ में लिया। आप आशु कवियों के समान ही ‘आशु संचालन’ प्रतिभा के धनी हैं । एक कवि को जब तालियों की गड़गड़ाहट से दाद कुछ कम मिली तो गोपाल ठाकुर जी ने तत्काल टिप्पणी की कि श्रोताओं के हाथ में चाय का कप होने के कारण वे तालियॉं समय पर बजा सकते में असमर्थ हैं। जब चाय पूरी पी लेंगे, तब तालियां अवश्य बजाएंगे। इस तत्काल रचित टिप्पणी ने न केवल संचालक की ‘तुरत बुद्धि’ की प्रखरता को उजागर किया बल्कि पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया।

कार्यक्रम में आयोजकों ने मुझे पल्लव काव्य भारती सम्मान प्रदान किया। इसके अंतर्गत प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह और शॉल प्रदान की गई। मुझे बड़ा अच्छा लगा जब पल्लव काव्य मंच के अध्यक्ष शिव कुमार चंदन जी के साथ-साथ वरिष्ठ कुंडलिया रचनाकार गाफिल स्वामी जी ने आगे बढ़कर मुझे सम्मान पत्र प्रदान किया। मैं सबका हृदय से आभारी हूॅं।

कार्यक्रम में रामपुर के सक्रिय रचनाकार प्रदीप राजपूत माहिर, राजवीर सिंह राज, सुरेंद्र अश्क रामपुरी और श्रीमती रागिनी गर्ग आदि उपस्थित रहे । इतिहासकार रमेश कुमार जैन ने साहित्य को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से लोकार्पित पुस्तकों के लेखकों को शॉल एवं माला पहनाकर सम्मानित किया। डॉक्टर रणधीर प्रसाद गौड़ धीर तथा डॉक्टर महेश दिवाकर की विशिष्ट अतिथियों में अग्रणी भूमिका रही।

इस अवसर पर मैंने शिव कुमार चंदन जी के अभिनंदन में एक कुंडलिया पढ़ी, जो इस प्रकार है:-

चंदन-मन व्यक्तित्व शुचि, सात्विक बही सुगंध (कुंडलिया)
_________________________
चंदन-मन व्यक्तित्व शुचि, सात्विक बही सुगंध
साहित्यिक शुभ कार्यक्रम, अद्भुत किए प्रबंध
अद्भुत किए प्रबंध, भक्ति के काव्य प्रणेता
कुंडलिया मर्मज्ञ, मुग्ध लेखन कर देता
कहते रवि कविराय, धन्य भावुक अंतर्मन
धन्य कलम सुकुमार, धन्य शिव कविवर चंदन
—————————————
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

सब तुम्हारा है
सब तुम्हारा है
sheema anmol
बुझ गयी
बुझ गयी
sushil sarna
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
ये ज़िंदगी डराती है, डरते नहीं हैं...
Ajit Kumar "Karn"
ज़िम्मेदार कौन है??
ज़िम्मेदार कौन है??
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।
उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।
सत्य कुमार प्रेमी
"There comes a time when you stop trying to make things righ
पूर्वार्थ
मुखर मौन
मुखर मौन
Jai Prakash Srivastav
खोया जो कुछ
खोया जो कुछ
Rashmi Sanjay
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
3588.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"पुरानी तस्वीरें"
Lohit Tamta
हम कोई भी कार्य करें
हम कोई भी कार्य करें
Swami Ganganiya
अर्थ मिलते ही
अर्थ मिलते ही
Kshma Urmila
#लघुकविता- (चेहरा)
#लघुकविता- (चेहरा)
*प्रणय प्रभात*
श्रीराम का नारा लगाओगे
श्रीराम का नारा लगाओगे
Sudhir srivastava
टूटता  है  यकीन  ख़ुद  पर  से
टूटता है यकीन ख़ुद पर से
Dr fauzia Naseem shad
मै ही रहा मन से दग्ध
मै ही रहा मन से दग्ध
हिमांशु Kulshrestha
307वीं कविगोष्ठी रपट दिनांक-7-1-2024
307वीं कविगोष्ठी रपट दिनांक-7-1-2024
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
RAMESH SHARMA
"मानुष असुर बन आ गया"
Saransh Singh 'Priyam'
गरीबी और लाचारी
गरीबी और लाचारी
Mukesh Kumar Sonkar
"हसरत"
Dr. Kishan tandon kranti
പൈതൽ
പൈതൽ
Heera S
गीत
गीत
Pankaj Bindas
सत्य साधना
सत्य साधना
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अधूरे सवाल
अधूरे सवाल
Shyam Sundar Subramanian
रिश्तों का एहसास
रिश्तों का एहसास
विजय कुमार अग्रवाल
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
*संसार में रहो लेकिन संसार के होकर नहीं*
Ravi Prakash
धोखा
धोखा
Rambali Mishra
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...