डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त

डॉ अरूण कुमार शास्त्री एक अबोध बालक अरूण अतृप्त
सत्य और सत में कोई विशेष अन्तर नहीं होता है सत्य ही सत अर्थात सच्चा होता है। सत्पुरुष की वाणी सुनने वाले लोगों के पास झूठ का जाल धीरे धीरे खिसक जाता है अर्थात उसका स्वतः विलय हो जाता है सत्य की छोटी सी किरण भी तेज़ तलवार का कार्य करती है। मानो तो मैं गंगा माई नहीं तो अफवाह होगी इधर सुनी उधर फूंक कर उड़ाई ।