Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jun 2024 · 1 min read

“There comes a time when you stop trying to make things righ

“There comes a time when you stop trying to make things right with people who won’t own their part in what went wrong.” (Unknown)

In relationships, whether they be with friends, family, or colleagues, conflicts and misunderstandings are inevitable. We naturally seek resolution and harmony, striving to mend rifts and restore peace. However, there are instances when our efforts to make things right are met with resistance, denial, or indifference from the other party. Recognizing when to let go is a crucial step toward healing and self-respect. ❤☀

190 Views

You may also like these posts

ख्वाब
ख्वाब
Phool gufran
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
शे
शे
*प्रणय*
तेवरी में गीतात्मकता +योगेन्द्र शर्मा
तेवरी में गीतात्मकता +योगेन्द्र शर्मा
कवि रमेशराज
" दिखावा "
ज्योति
रूठ जाना
रूठ जाना
surenderpal vaidya
کچھ متفررق اشعار
کچھ متفررق اشعار
अरशद रसूल बदायूंनी
Hindi Dictionary - डिक्शनरी इंग्लिश टू हिंदी - हिंदी डिक्शनरी | Hindwi Dictionary
Hindi Dictionary - डिक्शनरी इंग्लिश टू हिंदी - हिंदी डिक्शनरी | Hindwi Dictionary
Hindi Dictionary
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
मुकाबला करना ही जरूरी नहीं......
shabina. Naaz
*राजा रानी हुए कहानी (बाल कविता)*
*राजा रानी हुए कहानी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
Nazir Nazar
" बेहतरी के लिए "
Dr. Kishan tandon kranti
*तजुर्बा*
*तजुर्बा*
Pallavi Mishra
कर्ण कुंती संवाद
कर्ण कुंती संवाद
Jalaj Dwivedi
पैसा
पैसा
Mansi Kadam
I Can Cut All The Strings Attached.
I Can Cut All The Strings Attached.
Manisha Manjari
मां
मां
Dr. Shakreen Sageer
कमी ना थी
कमी ना थी
राकेश पाठक कठारा
life_of_struggler
life_of_struggler
पूर्वार्थ
तमाल छंद
तमाल छंद
Subhash Singhai
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
गुजिश्ता साल तेरा हाथ, मेरे हाथ में था
Shweta Soni
..........अकेला ही.......
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
भावना के कद्र नइखे
भावना के कद्र नइखे
आकाश महेशपुरी
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
हम सब एक दिन महज एक याद बनकर ही रह जाएंगे,
Jogendar singh
2534.पूर्णिका
2534.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
आकांक्षा पत्रिका समीक्षा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
क्रोध...
क्रोध...
ओंकार मिश्र
संवेदनाएँ
संवेदनाएँ
Meera Thakur
वक़्त का सबक़
वक़्त का सबक़
Shekhar Chandra Mitra
Loading...