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17 May 2024 · 1 min read

तुम..

आंखों में सजा कर
अनगिनत सपने
अपने दिल में
बसाया था तुमको
सपने ही तो थे….
टूटना था, टूट गए
आज भी, मगर
तन्हाई के लम्हों में
तुम्हारा ख्याल आ जाता है
हृदय के द्वार पर
तुम्हारा अक्स
हौले से
दस्तक दे जाता है
अपनी भावनाओं को
दफ़ना लिया था मैंने
अपने दिल को कब्र बना कर
तसव्वुर तुम्हारा
बिखर जाता है फूल बन कर
आज भी
मेहसूस होती है तुम्हारी
नर्म उंगलियों की छुअन
और, तब अकस्मात
मेरे रोम-रोम में
आकुलता जगा जाती हो तुम
मन बेचैन हो उठता है
मायावी सी तुम
आज भी मेरी तन्हाइयों में
चली आती हो तुम !!!!

हिमांशु Kulshrestha

Language: Hindi
1 Like · 93 Views

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