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2 Sep 2024 · 1 min read

अध्यात्म के नाम से,

अध्यात्म के नाम से, वैभव के भंडार
समझ सके तो समझ ले, ये दौलत व्यापार ||

कथा कहें या ज्ञान हो ,सबका यही विचार
मीठे मीठे बोल हैं , प्रेम बना औजार ||

भुत प्रेत वाधा सभी , लगते हैं दरबार
सेवा फल के भाव से, युवा करें बेकार ||

ऊंचा महल चमक रहा, भक्त रहें लाचार
वैभव विलास में सने , पड़े भक्त पर मार ||

जो बोले जो वेवफ़ा, लगता है आरोप ||
और बड़े फिर बात तो, हो जाता है क्रोप

हर तरफ एक शोर है , कुर्सी जिंदाबाद
आग लगे तो सब जले ,बस हम हो आबाद ||

दान ध्यान उपदेश दें , उपदेशों के सर्ग
स्वार्थ की चक्की लगी, पिस्ता मध्यम वर्ग ||

झगड़े के कारण तीन, जर जोरू औ जमीन
छीना छीन दौलत की, न मजहब न ही दीन , ||

Language: Hindi
1 Like · 100 Views
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