Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jul 2024 · 3 min read

बद्रीनाथ के पुजारी क्यों बनाते हैं स्त्री का वेश

बद्रीनाथ धाम, जो अपने आप में अनगिनत रहस्यों का भंडार है, लेकिन उन सबमें सबसे खास है यहाँ की रावल परंपरा…. ये परंपरा ना सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए कौतूहल का विषय है, बल्कि इसके पीछे छिपा रहस्य और इतिहास भी अद्भुत हैं…….
हर किसी के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति को सिर्फ रावल ही क्यों छू सकते हैं? यह सम्मान सिर्फ रावलों को ही क्यों मिला हुआ है? क्यों रावल, स्त्री वेश में आकर बद्रीनाथ धाम की पूजा करते हैं? और रावल परंपरा की शुरुआत हुई कैसे?
चमोली में बर्फ से ढके नर नारायण पर्वतों के बीच उफान मारती अलकनन्दा नदी के तट पर बसा, श्री हरी विष्णु का पावन धाम बद्रीनाथ, जिसे भू वैकुंठ के रूप में भी जाना जाता है. यहाँ भगवान विष्णु की बद्रीनारायण रूप में पूजा की जाती है……. और मंदिर के पुजारी होते हैं रावल
अब सबसे पहले आपको रावल परंपरा की शुरुआत के बारे में बताते हैं
कैसे हुई रावल परंपरा की शुरुआत
पंडित हरिकृष्ण रतूडी की किताब गढ़वाल का इतिहास की मानें……. तो शंकराचार्य केरल के नंबूरी ब्राहमण थे…… और वही बद्रीनाथ के मुख्य पुजारी भी रहे…… कहा जाता है कि सन्यास लेते वक्त उनकी माता ने उनसे अनुरोध किया था…… की अगर तुमने सन्यास लिया तो तुम मेरी अंत्योष्ठि नहीं कर पाओगे…. तब शंकराचार्य ने अपनी मां को वचन दिया था की मैं सन्यासी होने के बाद भी तुम्हारी अंतेष्टि करुंगा……. लेकिन जब शांकराचार्य की माता का देहांत हुआ तब….. उनकी जाति के लोगों ने…. शंकराचार्य के हाथों अंत्योष्ठि का विरोध करना शुरु कर दिया……. इसके बाद शंकराचार्य ने अपनी माता का शवदाह….. अपने हाथों अपने ही घर के आंगन में किया….. उस वक्त उनके दो रिश्तेदार उनके साथ थे….. जिसमें एक चोली जाति और दूसरा मुकाणी जाति के ब्राहमण थे……. बाद में शंकराचार्य ने इन दोनों जातियों को…. अपने स्थापित धामों में अपने साथ स्वामित्व दे दिया…….
अब आपको बताते हैं की सिर्फ रावलों को ही बद्री विशाल की मूर्ति छूने का अधिकार क्यों है
दरअसल रावल केरल के उच्च कोटी ब्राह्मण होते है….. और साथ ही वो आदी गुरु शंकराचार्य के वंशज भी है……. लिहाजा शंकराचार्य ने अपने स्थापित धामों का स्वामित्व रावलों को दे दिया था…. इसलिए बद्री विशाल की मूर्ती को छूने का विशेषाधिकार सिर्फ रावलों को ही है….
हांलाकी बद्रीनाथ के रावल केरल राज्य के चोली, नंबूरी या मुकाणी जाति के ब्राहमण ही होते हैं…… और यही बद्रीविशाल की पूजा भी करते हैं….. लेकिन हां जब बद्रीनाथ में रावल मौजूद नहीं होते तो स्थानीय डिमरी समुदाय बद्रीविशाल की पूजा करता है….. वैसे डिमरी समुदाय रावलों के सहायक होते हैं ये बद्रीनाथ धाम में भोग बनाते हैं…..
400 सालों के इतिहास की बात की जाए तो…… 4 बार डिमरी समुदाय के लोगों ने रावल की अनुपस्थिति में बद्रीविशाल धाम में पूजा की है…..
साथ ही आपको बता दें की
रावल को शास्त्रों में निपुण होना जरूरी होता है….. इनका चयन बद्रीनाथ मंदिर समिति करती है.
इनकी न्यूनतम योग्यता ये है कि इन्हें वेद-वेदांग का ज्ञाता और इस क्षेत्र में कम से कम0. शास्त्री की उपाधि प्राप्त हो
पहले से रावलों का ब्रह्मचारी होना भी जरूरी था…… पर वक्त के साथ ये नियम बदल गया….. और रावल सिर्फ महंत या सन्यासी ना होकर गृहस्थ भी होने लगे….. पर इसके साथ एक शर्त भी रखी गई की अगर किसी रावल को गृहस्त होना है……. तो उसे रावल का पद छोड़ना पड़ेगा….. पुराने रावल का पद छोड़ने के बाद नए रावल की नियुक्ती की जाती है……
नये रावल की नियुक्ति में त्रावणकोर के राजा की सहमति ली जाती है……..
रावल सिर्फ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद ही…… अलकनंदा नदी पार कर सकते हैं…. यानी जब सर्दियों के वक्त 6 महीने के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होते हैं….. तभी रावल अपने घर केरल जा सकते हैं…… और कपाट खुलने की तिथि के साथ रावल वापस बद्रीनाथ आ जाते हैं……
अब बात करते हैं उस अनोखे रहस्य की जिसका आप काफी समय से इंतजार कर रहे थे…… अब ये जान लेते हैं की आखिर कपाट खुलते के साथ रावल स्त्री बनकर बद्रीविशाल की पूजा क्यों करते हैं
तो दरअसल पहाड़ में रावल को लोग भगवान की तरह पूजते हैं….. उन्हें पार्वती का रूप भी माना जाता है…. मान्यता है की माता लक्ष्मी को कोई भी पर पुरुष स्पर्श नहीं कर सकता इसलिए रावल माता लक्ष्मी की सखी यानी माना पार्वती का वेश बनाकर मां लक्ष्मी के विग्रह को उठाते हैं……

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 138 Views

You may also like these posts

काश !!..
काश !!..
ओनिका सेतिया 'अनु '
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
खुश्क आँखों पे क्यूँ यकीं होता नहीं
sushil sarna
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
*उसकी फितरत ही दगा देने की थी।
Ashwini sharma
अभी कुछ बरस बीते
अभी कुछ बरस बीते
shabina. Naaz
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
Buddha Prakash
शरद
शरद
Tarkeshwari 'sudhi'
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
कमिशन
कमिशन
Mukund Patil
"" *मौन अधर* ""
सुनीलानंद महंत
खेल
खेल
Sushil chauhan
शिकवा नहीं मुझे किसी से
शिकवा नहीं मुझे किसी से
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
#श्याम की गोपियां
#श्याम की गोपियां
Radheshyam Khatik
दुविधा
दुविधा
Shyam Sundar Subramanian
🍁यादों का कोहरा🍁
🍁यादों का कोहरा🍁
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
ना धर्म पर ना जात पर,
ना धर्म पर ना जात पर,
Gouri tiwari
अनहद नाद
अनहद नाद
मनोज कर्ण
12. *नारी- स्थिति*
12. *नारी- स्थिति*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
" इसलिए "
Dr. Kishan tandon kranti
उसके बदन को गुलाबों का शजर कह दिया,
उसके बदन को गुलाबों का शजर कह दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इंतजार
इंतजार
इंजी. संजय श्रीवास्तव
हिसाब सबका होता है
हिसाब सबका होता है
Sonam Puneet Dubey
मईया का ध्यान लगा
मईया का ध्यान लगा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
रूड़ौ म्हारो गांव धुम्बड़ियौ🌹
रूड़ौ म्हारो गांव धुम्बड़ियौ🌹
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
रुपेश कुमार
जय जय सावित्री बाई फुले
जय जय सावित्री बाई फुले
gurudeenverma198
बीना दास एक अग्नि कन्या
बीना दास एक अग्नि कन्या
Dr.Pratibha Prakash
😊सुप्रभातम😊
😊सुप्रभातम😊
*प्रणय*
बेटी की लाचारी
बेटी की लाचारी
Anant Yadav
तुमको  खोया  नहीं गया हमसे।
तुमको खोया नहीं गया हमसे।
Dr fauzia Naseem shad
Loading...