Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2024 · 1 min read

डॉ अरुण कुमार शास्त्री

डॉ अरुण कुमार शास्त्री
बुद्धिमान व्यक्ति अधिकतर जवाब होते हुए भी पलट कर नहीं बोलते क्योंकि कई बार रिश्तों को जिंदा रखने के लिए,खामोश रह कर हारना जरूरी होता है। किसी की नजर में आप अच्छे हैं और किसी की नजर में आप बुरे हैं वास्तविकता ये है कि जिस की जैसी जरूरत है, उनके लिए आप वैसे ही हैं! यहां दर्द सबके एक से है,मगर हौंसले सबके अलग अलग है! कोई हताश हो के बिखर जाता है,तो कोई संघर्ष करके निखर जाता है।अभिमन्यु की एक बात बड़ी शिक्षा देतीं हैं हिम्मत से हारना पर हिम्मत मत हारना।

246 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

शाम वापसी का वादा, कोई कर नहीं सकता
शाम वापसी का वादा, कोई कर नहीं सकता
Shreedhar
हिन्दी भारत का उजियारा है
हिन्दी भारत का उजियारा है
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जीवन की वास्तविकता
जीवन की वास्तविकता
Otteri Selvakumar
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
Shweta Soni
नारी
नारी
Pushpa Tiwari
गुलाब और काँटा
गुलाब और काँटा
MUSKAAN YADAV
विश्व टीकाकरण सप्ताह
विश्व टीकाकरण सप्ताह
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दोहा-विद्यालय
दोहा-विद्यालय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आशिर्वाद
आशिर्वाद
Kanchan Alok Malu
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे
Keshav kishor Kumar
न जाने  कितनी उम्मीदें  मर गईं  मेरे अन्दर
न जाने कितनी उम्मीदें मर गईं मेरे अन्दर
इशरत हिदायत ख़ान
भाग्य प्रबल हो जायेगा
भाग्य प्रबल हो जायेगा
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"जुदाई"
Priya princess panwar
नन्ही
नन्ही
*प्रणय*
(दीवाली गीत)
(दीवाली गीत)
Dr Archana Gupta
"चलता पुर्जा आदमी"
Dr. Kishan tandon kranti
उदास राहें
उदास राहें
शशि कांत श्रीवास्तव
कर्मों का बहीखाता
कर्मों का बहीखाता
Sudhir srivastava
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
ग़लतफ़हमी में क्यों पड़ जाते हो...
Ajit Kumar "Karn"
लेख
लेख
Praveen Sain
जख्म भरता है इसी बहाने से
जख्म भरता है इसी बहाने से
Anil Mishra Prahari
घाटे का सौदा
घाटे का सौदा
विनोद सिल्ला
3914.💐 *पूर्णिका* 💐
3914.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गम‌, दिया था उसका
गम‌, दिया था उसका
Aditya Prakash
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
"इंसान, इंसान में भगवान् ढूंढ रहे हैं ll
पूर्वार्थ
गतिमान रहो
गतिमान रहो
श्रीकृष्ण शुक्ल
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
Phool gufran
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
*अभिनंदन उनका करें, जो हैं पलटूमार (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...