मैंने देखा है बदलते हुये इंसानो को
कोई दर ना हीं ठिकाना होगा
ईश्वर का अस्तित्व एवं आस्था
यकीनन जहाँ से सबको लगता है कि मेरा खात्मा है,
" आत्मविश्वास बनाम अति आत्मविश्वास "
##सभी पुरुष मित्रों को समर्पित ##
चमकते चेहरों की मुस्कान में….,
सोना जेवर बनता है, तप जाने के बाद।
सत्य का अन्वेषक
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
*चले पिता-माता को लेकर, कॉंवर श्रवण कुमार (गीत)*
प्यार खुद से कभी, तुम करो तो सही।
रमेशराज की विरोधरस की मुक्तछंद कविताएँ—1.
बाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएँ
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है।
ग़ज़ल _ खुशनुमा बन कर रहेगी ज़िंदगी।