वो इंतजार ही क्या जो खत्म हो जाए……
चमकते चेहरों की मुस्कान में….,
प्रेम-सुधा की प्यास लिए यह
कौशल पढ़ते लिखते रहते
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal (कौशलेंद्र सिंह)
मजबूरियों से ज़िन्दा रहा,शौक में मारा गया
- नियति के लिखे को कोई टाल नही सकता -
चलो एक बार फिर से ख़ुशी के गीत गाएं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शुरू करते हैं फिर से मोहब्बत,
*छपवाऍं पुस्तक स्वयं, खर्चा करिए आप (कुंडलिया )*
मैं बिल्कुल आम-सा बंदा हूँ...!!
मांदर बाजय रे गोरी नाचे न
गर्दिश -ए - वक़्त ने बदल डाला ,
फाग
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर