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14 May 2024 · 1 min read

जब से वो मनहूस खबर सुनी

दोस्त ! जब से वो मनहूस खबर सुनी

लगती हैं झूठ अभी भी ,शायद वहम हो

पागल मन को कैसे समझावू ?

जानेवाले लौटके वापस नहीं आते कभी

दोस्त ! तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ

उस दिन रात में सोते समय क्या सोचा होगा

नहीं पता होगा यह हमारी आखरी रात

कल का सूरज , दिन मेरे लिए नहीं होगा

दोस्त ! तुम्हे जितना भुलना चाहूं

उतना ही याद आते हो ,आवोगे

कहीं से आवाज दोगे हमेशा की तरह

फिर अजबसि ख़ामोशी , बेचैनी, भारी मन

दोस्त ! क्या हाल होगा घर में तुम्हारे

सोचके घबराता हूँ , उन्हें दुःख सहने की

शक्ति प्रदान करे यही ईश्वर से प्रार्थना

दुःख की धार कम होने को वक्त तो लगता ही हैं

Language: Hindi
82 Views

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