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6 Oct 2023 · 1 min read

संदेश बिन विधा

तुम कहते रहे,विरोध की कोई वजह न थी,
तुमने जो छुपा कर जो हकीकत पेश की.

वो पटरी रेल के डिब्बे, मेरे अपने देश के थे, हैं.
अब न संसाधन हमारे अपने,न सड़क,न वायुयान,

रेवेन्यू सरकार के सीमित थे, व्यवस्था बडी सुंदर,
हर आदमी के कपडों के पसीने से सजा समंदर.

लहू की बूंद बूंद चूस ली गई फिर भी हो कलेंदर,
झारखंड का कोयला वाया मुंबई पहुंचा पोरबंदर.

ईंधन पैट्रोल डीजल सीएनजी पीएनजी पबजी
खेल से भी घातक,घूम कर आओ गोवा पणजी.

उम्मीद हर जन-मानस रखता है, घर चले रसोई जले,
ये अव्यवस्था लील गई, आओ वित्त-मंत्री से पूछने चलें.

गौ रक्षक हैं या गौ तस्कर, गौवंश पालते नहीं, गोस्त बिक्री बढ़ गई,
हिंदू कोड बिल का जमकर विरोध हुआ, ये दुनिया सनातनी कब हुई.

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