Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
7 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

ग़ज़ल
काफ़िया तुकांत -अर
रद़ीफ पदांत-जाए तो अच्छा

बिगड़ी तक़दीर सॅंवर जाये तो अच्छा
दिन गर्दिशों के गुज़र जाये तो अच्छा।

स्वार्थ- और नफ़रत के रिश्तों की दरारें
ज़ख्म अब दिल के भर जाये तो अच्छा।

दौलत और शौहरत के मद में चूर हैं वो
बिगड़ी औलाद सुधर जाये तो अच्छा।

सियासी सब्ज़बाग़ दिखाएं,बहकाते नेता
वोट देने से ही वोटर मुकर जाये तो अच्छा ।

चकाचौंध में है उलझे, कोलाहल से परेशां है
ख़ामोशियां ही अब पसर जाये तो अच्छा।

आधुनिक रंग में रंगी युवा पीढ़ी पर अब…
हो धर्म व सत्कर्मों का असर जाये तो अच्छा ।

खर्च़ है ज़्यादा, और आमद है बहुत कम
ज़िंदगी ढंग से अपनी बसर जाये तो अच्छा।

योगमाया शर्मा
कोटा राजस्थान

Loading...